कनाडा द्वारा पुराने PR आवेदन लौटाना सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं था—यह एक ऐसे सपने का टूटना था, जिसके सहारे हज़ारों पंजाबी युवाओं के घरों की इकोनॉमी चलती थी।
पर असली बात क्या है? असली झटका कहाँ लगा? और क्यों यह घटना पंजाब की आने वाली पीढ़ी को हमेशा के लिए बदल सकती है –

कनाडा द्वारा पुराने आवेदन वापस करना इस इकॉनॉमी की बुनियाद पर लगा पहला बड़ा दरार है।
क्योंकि अब यह साफ दिख रहा है कि वीज़ा या PR एक “गारंटीड रूट” नहीं है। हर पंजाबी युवा के PR आवेदन के पीछे पूरा घर लगा होता है।
जब कनाडा ने आवेदन वापस किए, असली दर्द सिर्फ फाइल का नहीं था—

बल्कि इन बातों का था – माता-पिता का सपना कि मेरा बच्चा सेटल हो जाएगा – रिश्तेदारों के सामने बनने वाली इमेज
गाँव में बनी ‘विदेश जाने की पहचान
एजेंट के कहे वादों पर किया भरोसा – यह पहला मौका था जब पंजाबी परिवारों ने महसूस किया कि
वे सिर्फ इमिग्रेंट नहीं—बल्कि इमिग्रेशन-सिस्टम के भीतर फँसे हुए निवेशक बन गए हैं।

PR का रास्ता बंद’ नहीं — बल्कि ‘दौड़ का नया रूल’ शुरू

कनाडा ने जो किया, वह यह कह रहा है जिस तरह पिछले 10 सालों में लोग बाहर गए, अब ऐसा नहीं होगा। PR सिर्फ स्कोर या फंड दिखाने से नहीं मिलेगी। सिर्फ काबिलियत वाले आदमी को ही मिलेगी। अमेरिका का कहना है कि हमारे देश को सुपर स्किल्ड लोग चाहिए, जिनमें टैलेंट कूट-कूट के भरा हो। यानी अब पंजाब के युवाओं को PR का रास्ता नहीं मिलेगा—
बल्कि PR की नई फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा।

पंजाब के युवाओं के लिए यह झटका एक गुप्त अवसर भी है – यह पहली बार है जब पंजाब को महसूस होगा कि फ्यूचर बाहर नहीं, स्किल के अंदर है।आगे क्या?—कनाडा ने रास्ता नहीं रोका, रास्ता बदला है – पुरानी इमीग्रेशन सिस्टम को बिल्कुल खत्म कर दिया गया है। अमेरिका बोलता है हमको भीड़ नहीं, सिर्फ क्वालिटी चाहिए।लंबा इंतजार नहीं, फास्ट-फिल्टर सिस्टम चाहिए – इसका मतलब पंजाब के युवाओं के लिए यह समय है
अपनी रणनीति बदलने का, न कि सपने छोड़ने का।

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