
मोहाली की यूनिवर्सिटी पर चन्नी का बड़ा बयान पीयू हमारा था, हमारा है और हमारा ही रहेगा
पंजाब की सियासत में एक बार फिर शिक्षा का मुद्दा सुर्खियों में है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया जिसने पंजाब की पॉलिटिक्स में नई गर्माहट भर दी है। चन्नी ने साफ शब्दों में कहा कि “मोहाली में जो यूनिवर्सिटी है, पंजाब यूनिवर्सिटी… उसका एक बाल भी कोई गंगा नहीं कर सकता। वह पंजाब की थी, पंजाब की है और पंजाब की ही रहेगी। सेंट्रल गवर्नमेंट का उस पर कोई हक नहीं। चानी का यह एक सोच समझ बयान है पर यह खबर अभी तक सुर्खियों में है।
ये बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि पंजाब की अस्मिता, शिक्षा और अधिकारों से जुड़ा बड़ा सवाल है। आइए समझते हैं कि ये मुद्दा इतना महत्वपूर्ण क्यों है और पंजाब के लिए इसका क्या मतलब है। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) सिर्फ एक कैंपस नहीं, बल्कि पंजाब की ऐतिहासिक धरोहर है। यहाँ से पढ़कर हजारों युवा नौकरियों, बिज़नेस और समाजसेवा के क्षेत्र में नाम कमा चुके हैं चन्नी का कहना है कि पीयू पर पंजाब का हक वाजिब है – यह भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से पंजाब के लिए हमेशा खास रही है – इसलिए जब भी केंद्र सरकार की ओर से इसे “सेंट्रल यूनिवर्सिटी” बनाने की बातें सामने आती हैं, पंजाब का राजनीतिक माहौल गर्म हो जाता है।
अपने बयान में चन्नी ने बहुत साफ शब्दों में कहा कि मोहाली की यूनिवर्सिटी को कोई भी केंद्र के अधीन नहीं कर सकता। यह पंजाब की पहचान है और रहेगी।
कई लोगों का मानना है कि यह बयान चुनावी मौसम नज़दीक होने से भी जुड़ा हो सकता है। लेकिन जनता के लिए यह मुद्दा सिर्फ राजनीति नहीं—यह भविष्य की शिक्षा और युवाओं के अधिकारों का सवाल है।पंजाब के लोग पीयू को सिर्फ एक कॉलेज नहीं, बल्कि गौरव मानते हैं। केन्द्र सरकार इसे अपने नियंत्रण में लाने के कई प्रयास कर चुकी है। लेकिन पंजाब में हर बार विरोध तेज हो जाता है।क्योंकि इसमें पंजाब का पैसा और पसीना भी लगा हुआ है। इसलिए पंजाब की गवर्नमेंट इस केंद्र में तब्दील नहीं करना चाहती यूनिवर्सिटी को।चरणजीत सिंह चन्नी का बयान न सिर्फ तगड़ा था बल्कि पंजाब की भावनाओं को भी दर्शाता है।
यूनिवर्सिटी सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं—वह एक विरासत है, और चन्नी के अनुसार उस पर किसी और का दावा मंज़ूर नहीं।
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