बिजली अब गाँव के हाथों में: जन-साझा ग्रिड की नई क्रांति – Sollar Yojna
September 10, 2025 | by rojanasuchna


यह योजना पहले पंजाब के छोटे से गांव से शुरू की गई है। किसान गरीब को उसमें बहुत लाभ हो सकता है।
1: नई दिल्ली, 10 सितंबर 2025 – भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में पहली बार एक अनूठा ऊर्जा पहलाकार उभरा है: “जन-चलाई ऊर्जा-साझा ग्रिड” (Community-Run Energy Grid), जिसकी नींव स्थानीय समुदाय ने मिलकर रखी है।
2: यह पहल विशेष रूप से पंजाब के छोटे-गाँवों में शुरू की गई है, जहां ग्रामीणों ने सौर पैनल और छोटे-बिजली उत्पादन यूनिट्स को मिलाकर एक साझा ग्रिड का निर्माण किया है। इस ग्रिड की खासियत यह है कि इसे सरकार, निजी उद्योग या बड़ी कंपनियों की बजाय सीधा समुदाय चलाता और नियंत्रित करता है। इसका उद्देश्य:
3: बिजली उत्पादन एवं आपूर्ति पर गांवों को आत्मनिर्भर बनाना,
• गैर-स्थिर नगर बिजली ग्रिड की निर्भरता कम करना,
• समुदाय को मिलकर अपना ऊर्जा बजट बनाना और खर्च साझा करना।
4; गांव वालों का कहना है:
“अब हम खुद ही बिजली बनाएँगे और उसका उपयोग करेंगे—सरकारी ग्रिड पर निर्भरता कम होने से हमारी ज़िन्दगी में सुविधा और नियंत्रण दोनों बढ़े हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह मॉडल अन्य राज्यों में भी दोहराया गया, तो भारत में ग्रामीण बिजली संकट को कम करने में यह एक “क्रांतिकारी” कदम साबित हो सकता है। राज्य सरकारें इस पहल को ध्यान से देख रही हैं, और आने वाले महीनों में इसे विस्तार देने पर विचार किया जा रहा है।
5: प्रारंभिक डेटा से पता चला है कि इस मॉडल की वजह से बिजली का उत्पादन लागत 30-40% कम हुआ है, और ग्रामीण परिवारों के बिजली बिल भी लगभग ₹100-₹200 प्रति माह तक घट गए हैं। साथ ही, यह ग्रिड बिजली कटौती के समय समुदाय में लचीलापन लाने में भी मददगार सिद्ध हुआ है।
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बिजली अब गाँव के हाथों में: जन-साझा ग्रिड की नई क्रांति
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